‘देवांगना’ – यह आचार्य चतुरसेन द्वारा रचित उपन्यास है। जिसमें उन्होनें किस्सागोई के अपने खास अंदाज़ में इस उपन्यास के माध्यम से धर्म और धर्म के ढोंग को बहुत ही भावनात्मक और रोचक ढंग से प्रस्तुत कर, यह बताने की कोशिश की है कि भारत से बौद्धधर्म का लोप कैसे और किन कारणों से हुआ था। इसकी पृष्ठभूमि बारहवीं ईस्वी सदी का बिहार है, जब बौद्ध धर्म का, कुरीतियों के कारण तेजी से पतन होने लगा था।
‘देवांगना’ यह बौद्ध भिक्षु दिवोदास की कहानी है। जिसनें धर्म के नाम पर होने वाले दुराचारों को देखकर उसका विद्रोह किया करता था और इसकी सजा के तौर पर उसे कारागार और पागलखाने में डाल दिया जाता था। वही पर उसका एक देवदासी और एक भूतपूर्व सेवक मदद के लिए आगे आता है और इस मदद से दिवोदास धर्म के नाम पर किए जाने वाले अत्याचारों का भंडाफोड़ कर पाते हैं।
‘देवांगना’ यह बौद्ध भिक्षु दिवोदास की कहानी है। जिसनें धर्म के नाम पर होने वाले दुराचारों को देखकर उसका विद्रोह किया करता था और इसकी सजा के तौर पर उसे कारागार और पागलखाने में डाल दिया जाता था। वही पर उसका एक देवदासी और एक भूतपूर्व सेवक मदद के लिए आगे आता है और इस मदद से दिवोदास धर्म के नाम पर किए जाने वाले अत्याचारों का भंडाफोड़ कर पाते हैं।
Taal Hindi ● Formaat EPUB ● ISBN 9789354622717 ● Bestandsgrootte 0.8 MB ● Uitgeverij True Sign Publishing House ● Gepubliceerd 2023 ● Downloadbare 24 maanden ● Valuta EUR ● ID 9024248 ● Kopieerbeveiliging Adobe DRM
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